सूरज जब हंसता है
लगता है
फिर कोई बादल बरसने को है
रहमत का फरिश्ता आने को है
जो निजात दिलाएगा
चांद के टेढ़ेपन से
निजवाद और
आतंकवाद से
फिर जरूर कोई चिड़िया
चहकेगी
मेरे आंगन में
जो सूरज के कुपित होने पर
सूना हो गया था
प्यासा स्वार्थ
जगत पर कुएं की
प्यासा बैठा है
उसे डोलची की जरूरत है
जो नायक के पास रह गई
वह अश्वमेघ के लिए उसकी प्रतीक्षा किए बिना
अपने क्षेत्र में चला गया
जहां इन दिनों चुनावी समर जोरों पर है
जिसे उन दोनों ने अश्वमेघ नाम दिया
सूखे प्यासे होंठों पर जीभ फिराता
प्यासा कुएं में झांक रहा है
उसे भीतर दिखाई दे रहा है
स्वार्थी
अपना ही अक्स
जो नेता को वोट देने के बाद पछता रहा है
कुआं उसे सूखा लग रहा है
लोमड़ी की तरह
निराश है वह
चालाक प्यासा वोटर
तपने के बाद
पास बैठकर बता
देखता है इतनी दूर
सूरज बादलों में
हंसकर कह रहा है
तपता रह
मेरी तरह
एक दिन
फिर
छंट जाएंगे
दुखों के बादल
आधा चांद
आधा चांद चांदनी बिखेरता
वह बच्चा उसे देखता
बच्चा युवा हो गया
चांद अब भी आधा रहा
उसकी चांदनी वैसी शीतल
उतनी ही चंचल
मगर बच्चे की चंचलता
उसकी आभा
उसका उल्लास
न जाने कहां खो गया
वह उसे ढूंढ़ने में दिन गुजार देता
फिर किराये के मकान की छत पर
देखता चांद को
वह मुस्करा रहा होता
वैसे ही, जैसे उसके बचपन में मुस्कुराता था
वह अपनी डिग्रियां उठाए
छत के कोने में बैठ जाता
ट्रांजिस्टर पर खबरे सुनता
दूसरे दिन फिर नौकरी की तलाश में निकलता
अपने चांद-से मुन्ने को चूमता
उसे कहता
बेटा आधा चांद पूर्णिमा को पूरा दिखेगा
हमारी अमावस बस अब पूर्णिमा में बदलेगी
अबोध मुन्ना मुस्कुरा देता, बिना कुछ समझे
क्रम चलता रहा
मुन्ना अपने मुन्ने को
वही कह रहा है
जो कभी मैंने उसे कहा था
बेहद जबरदस्त रचना है यह.
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं ई-गुरु राजीव हार्दिक स्वागत करता हूँ.
मेरी इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
यदि कोई सहायता चाहिए तो खुलकर पूछें यहाँ सभी आपकी सहायता के लिए तैयार हैं.
शुभकामनाएं !
"टेक टब" - ( आओ सीखें ब्लॉग बनाना, सजाना और ब्लॉग से कमाना )
आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है।
ReplyDeleteइंटरनेट के जरिए अतिरिक्त आमदनी की इच्छा हो तो यहां पधारें -
http://gharkibaaten.blogspot.com
शब्द और भावों का प्रभावी संगम - एक परिपक्व रचना - शुभकामनाएं
ReplyDeleteइस चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteतलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
ReplyDeleteकाले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
very good.
ReplyDeleteस्वागतम
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