Tuesday, September 28, 2010

कर लो हिन्दी से प्यार

हिन्दुस्तानी हैं हम हिन्दू, हिन्दी हमारी भाषा है।
इसमें वीणा के सुर हैं तो, ये सरिता की धारा है॥
इसमें सागर गहरा पिताः सा, तो ममता भी माँ सी है।
जिस भी रहे हम हाल में बंधु, इससे हमारा नाता है॥


हिन्दी पर है गर्व हमारा, इससे पुराना नाता है।
ये भावों की निर्झरणी है, ये देवो की वाणी है॥
इसमें पुत्र पिता कहते है और, पत्नी कहती प्राणाधार।
मैं भारत का पुत्र कहाता, ये भाषा इस मां की है॥


ये भाषा तुझको देती है, पूर्वजों का भी ज्ञान-प्रसाद।
और भविष्य भी है, जो तुम्हारा कर देती है शुभ संवाद॥
देखो प्यारे इसको बनाओ अपने गले का नवलख हार।
एक बात पते की बताऊँ, कर लो हिन्दी से भी प्यार॥

Monday, September 6, 2010

Woh College ke din....

Kuch baate bhuli hui,
kuch pal beete hue,

Har galti ka ek naya bahana,
aur fir sabki nazar me aana,

Exam ki puri raat jagna,
fir bhi sawal dekhke sar khujana,

Mauka mile to class bunk marna,
fir doston k sath canteen jana

USKI ek jhalak dekhane roj college jana,
usko dekhte dekhte attendance bhul jana,

Har pal hai naya sapna,
aaj jo tute fir bhi hai apna,

Ye college ke din,
In lamho me jindagi jee bhar ke jeena,

Yaad karke in palon ko,
Fir jindagi bhar muskurana

"mohabbat"- a mistry........

"Aasu aa jate hai aankhon me rone se pahle,
Har kwab tut jata hai sone se pahle,
Kya hai "mohabbat" ye toh samaz gaye,
Kaash koi rok leta dosti hone se pahle" ,
"Kitni buri lagti hai yeh zindagi,
jab hum tanha mehsoos karte hain,
marne ke baad milte hai chaar kandhe ,
jeete ji hum ek ko taraste hain.." ...."
bheeg jaati hai palken tanhai main,
dard hai koi jaan na le
pasand karte hain tez barish main nikalna,
kahin rote hue koi pehchaan na le"..... "
"PHool ki khushboo sa Bikhar gaya hoon,
apne wajood ke liye taras gaya hoon,
hairaan hoon jindagi tere dastoor par,
insaan hoon magar masheen sa ban gaya hoon,
waqt ke saath bahut door nikal gaya hoon,
apne khilone kahin bhool gaya hoon,
gume samandar ka nahin kinara..
apne isi malaal main doob gaya hoon,
main SIRF CHAHAT MAIN kisi ki ,
apne kai gum bhool gaya hoon,
aaftaab ki tapan ko jaanoge kaise ,
apne aap sulagta chala gaya hoon"
hmm... main bahut hi emotional aur sensitive...hoon....
kafi koshish ki apne ko badalne ki ...
lekin afsos nahi ho paya....shayari karna pasand haii...
aur bahut hi ajeeb hoon.....khair....
jaisa bhi hoon.. dil ki bura nahi hooon...

चलो आशा दीप जलाएं

मन की अभिलाषा क्रंदन करती
निज मन को ही दुःख से भारती
उजली होती काश ये धरती
कोई तो मन को समझाए

चलो आशा दीप जलाएं !!


तम हटता होता है सबेरा
हर्षित होता है मन मेरा
एक दिया लाखो अँधेरा
पल में अंधियारे को भगाए

चलो आशा दीप जलाएं !!!


मंद करुण तल यूँ जल जल के
नीर नेत्र से क्षण क्षण छलके
मन का प्रेम मन में छुपाये

चलो आशा दीप जलाएं !!!


कुछ मन में उनके कुछ था मेरे
अनजाने से क्यों बादल घेरे
क्यों हम न उनके वो न मेरे
खुद से पूछे खुद को ही बताएं

चलो आशा दीप जलायें !!!

meri ammi k swal

Raat phir khawaab main aa kar mujhse
Meri ammi ne kuchh sawaal kiye
Usse pahley mujhey duaa ye di
Khuda karey ki tu sau saal jiye
Unki aankhon main mahobbat bhi thi,

Afsos bhi tha
Ek aaNsu bhi tha un aankhon main
Jo chillata bhi tha, khamosh bhi tha
Mujhse poocha ki betey kaisey ho
Koi diqqat to nahin hai tumko

Phir kaha

Tumko maloom hai kya
Main badi takleef main hoon
Jab se laiti hoon so nahin payee
Tumhaari wajah se main khul ke ro nahin payee
Terey gunaah mujhko saanp banke danstey hain
Farishtey aakar har roz fiqrey kastey hain


Tumhi bataao beta mainey kya kami ki thi
Merey samjhaney main kami thi kya
Ya meri tarbiyat adhoori thi
Kyon burey kaam roz kartey ho
Kyon nahin us khuda se dartey ho
Jisney tumko ye jaan bakshi hai
Jisney tumko amaan bakshi hai

Naveli dulhan

Naveli dulhan ki
Ho rahi thi vidai
Bar bar rone ke liye
Ker rahi thi try
Banavati hichki li
Pehli,
Tabhi dulhan ki maa boli
Pagli,
Yahi rone lage gi to
Sara make up dhuul jayega
Teri sunderta ka
Raaz khul jayega
Sunker ladki ne kaha
Tab main kya karu maa
Maa boli , Ari
Teri akkl abhi tak khoti hai
Royega tera dulha
tu kyo roti hai.

धूम्रपान__एक कार्य महान

सिगरेट
है संजीवनी
पीकर
स्वास्थ्य बनाओ

समय
से पहले बूढ़े होकर
रियायतों
का लाभ उठाओ

सिगरेट
पीकर ही
हैरी और माइकल निकलते हैं

दूध
और फल खाकर तो
हरगोपाल
बनते हैं

जो
नहीं पीते उन्हें
इस
सुख से अवगत कराओ

बस में रेल में घर में जेल में
सिगरेट
सुलगाओ

अगर
पैसे कम हैं
फिर
भी काम चला लो

जरूरी
नहीं है सिगरेट
कभी कभी बीड़ी सुलगा लो

बीड़ी
सफलता की सीढ़ी
इस
पर चढ़ते चले जाओ

मेहनत
की कमाई
सही
काम में लगाओ

जो
हड्डियां गलाते हैं
वो
तपस्वी कहलाते हैं


कलयुग के दधीचि
हड्डियों
के साथ करो
फेफड़े
और गुर्दे भी कुर्बान

क्योंकि
धूम्रपान
एक कार्य महान

IMPORTANT NOTICE

तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=

सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।

ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।

इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।

अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।

आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।

शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-

सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?

जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-

(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)


I request to all my dear friends please do something for our MOTHERLAND "INDIA" and Contact to
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in

एक औरत

मै घर की रंगीन चारदीवारी मॆं
क़ैद सी एक औरत, या सजा हुआ कोई फानूस
मै अपने घर की रौनक हू
या शायद घर वालो का गुरूर

मै घर को बनने वाली एक कड़ी या
दिवारू पर लगी हुई एक पैंटिंग
अनेको चटकीले रंगो से सजी
ओर हरियाली से खूबसूरत रंगो मै सनी ,

मै क्या हू? मुझसे ना पूछ ए मेरे खुदा,
आज तक खुद को समझ ना पायी,
मै नही हू तो कुछ नही ह,
मै हू तो घर मै रोनक ह!

पर मेरे चेहरे पर क्यों रौनक नही ह
मै क्यों एक मूरत सी कोने मै पडी हुई
मै क्यों एक बुत सी कमरे मै सजी हुई
मै क्यों चुप सी खामोश पड़ी हुई!

जब तुम जान जाओ मै क्या हू,
मुझे भी बता देना, जब मेरे हँसने पर,
तुम कोई पाबन्दी ना लगाओ तो हँसा देना,
ओर जब लगे इस मूरत की जरूरत नही तो बाहर फीकवा देना