Monday, September 6, 2010

चलो आशा दीप जलाएं

मन की अभिलाषा क्रंदन करती
निज मन को ही दुःख से भारती
उजली होती काश ये धरती
कोई तो मन को समझाए

चलो आशा दीप जलाएं !!


तम हटता होता है सबेरा
हर्षित होता है मन मेरा
एक दिया लाखो अँधेरा
पल में अंधियारे को भगाए

चलो आशा दीप जलाएं !!!


मंद करुण तल यूँ जल जल के
नीर नेत्र से क्षण क्षण छलके
मन का प्रेम मन में छुपाये

चलो आशा दीप जलाएं !!!


कुछ मन में उनके कुछ था मेरे
अनजाने से क्यों बादल घेरे
क्यों हम न उनके वो न मेरे
खुद से पूछे खुद को ही बताएं

चलो आशा दीप जलायें !!!

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